जो था ही ना अपना
दिल तू उसे ढूँढता हैं
जैसे बादलों पे कोई
अपना ज़मीन ढूँढता हैं
कितनी मोधोसे ज़िंदगी
गुजर चुकी हैं अब
राहों में फिर भी तू
उसकी कमीं ढूँढता हैं
चांद ही सही बेवफा न कह उसे
पर यह नादान दिल
चाँद कि आस्मां में तू
किसे ढूँढता हें
प्यार गहरा हुवा थो क्या
ऊँचा तू खुद को बना
फिर बने कोई दास्तान
जहा कोई तुम्हें ढून्द्था हें
sorry for any typing mistakes report the same
wow!!! you are fit to be a lyricst
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